विषम अर्थव्यस्था को संभालना, साठ वर्ष की सैन्य तानाशाही के प्रभाव को नियंत्रित करना, निर्धनता, दरिद्रता, मंहगाई और बेरोज़गारी के बारे में जनता को ख़ुशी का संदेश देना कोई सरल कार्य न था, ऊपर से सेना और न्यायालय ने मिलकर संसद भंग कर दिया जो जनता के घावों पर मरहम हो सकती थी।